CBSE NOTES for class 10 th
16. प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन : Science class 10 th:Hindi Medium NCERT Book Solutions
NCERT Books Subjects for class 10th Hindi Medium
16. प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन
जल संग्रहण : इसका मुख्य उद्देश्य है भूमि एवं जल के प्राथमिक स्रोतों का विकास करना।
वर्षा जल संचयन : वर्षा जल संचयन से वर्षा जल को भूमि के अंदर भौम जल के रूप में संरक्षित किया जाता है।
जल संग्रहण की देशी विधियाँ :
(i) कुआँ (ii) ताल (iii) कूल्ह (iv) तालाब
बांध : बांध में जल संग्रहण काफी मात्रा में किया जाता है जिसका उपयोग सिंचाई में ही नहीं बल्कि विद्युत उत्पादन में भी किया जाता है। बड़े-बड़े नदियों पर बांध बनाकर बहुउद्देश्यीय नदी परियोजनाएँ चलायी जाती है | जिसके कई लाभ हैं |
नदियों पर बाँध :
(i) टिहरी बांध - नदी भगीरथी (गंगा)
(ii) सरदार सरोवर बांध - नर्मदा नदी
(iii) भाखड़ा नांगल बांध - सतलुज नदी।
बांधों को लेकर विरोध और आन्दोलन :
गंगा नदी पर बना टिहरी बाँध को लेकर कई वर्षों तक आन्दोलन हुआ | नर्मदा बचाओं आन्दोलन हुआ जो नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बाँध को लेकर विरोध हुआ |
बांधों के लाभ :
(i) सिंचाई के लिए पर्याप्त जल सुनिश्चित करना।
(ii) विद्युत उत्पादन
(iii) क्षेत्रों में जल का लगातार वितरण करना।
(iv) पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकास
(v) मत्स्य पालन
बांधों की हानियाँ :
(i) कृषि योग्य भूमि का ह्रास और स्थानीय लोगों का विस्थापन
(ii) पारिस्थितिक तंत्र का असंतुलन
(iii) जैव विविधता को हानि होती है |
(iv) बाढ़ का खतरा
(v) जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाता है |
भौम जल के लाभ:
1. यह वाष्प बनकर नहीं उड़ता हैं ।
2. भौम जल छोटे-छोटे जलाशयों के जल स्तर मे सुधार लाता हैं ।
3. पौधों को नमी पहुँचाता हैं ।
4. यह मच्छरों एवं जंतुओं के अपशिष्ट से सुरक्षित रहता हैं ।
5. यह जल संदूषण से बचा रहता है |
चैक डैम : चैक डैम जल संग्रहण के लिए अर्धचंद्रकार मिट्टी के गढ्ढे अथवा निचले स्थान पर कंकरीट अथवा छोटे कंकड़ पत्थरों द्वारा बनाए जाते हैं । ये वर्षा ऋतु में पूरी तरह भर जाने वाली नालियाँ या प्राकृतिक जलमार्ग पर बनाए जाते हैं ।
जल संभर प्रबंधन : जल संभर प्रबंधन में मिट्टी एवं जल संरंक्षण पर जोर दिया जाता हैं जिससे कि जैव मात्रा उत्पादन में वृद्धि हो सके । इसका मुख्य उद्वेश्य भूमि एवं प्राथमिक स्त्रोतों का विकास, द्वितीयक संसाधन पौधा एवं जंतुओं का उत्पादन इस प्रकार करना जिसे पारिस्थितिक असंतुलन पैदा ना हो।
जल प्रदुषण का कारण :
(i) जलाशयों में उद्योगों का कचरा डालना।
(ii) जलाशयों के नजदीक कपड़े धोना या माल-मूत्र डालना।
(iii) जलाशयों के अवांछित पदार्थ डालना।
(iv) नदियों में मरे हुए जीवों को बहाना |
जल प्रदूषण के लिए उत्तरदायी मनुष्यों के क्रियाकलाप :
(i) घर एवं कारखानों (कागज उद्ध्योग ) द्वारा छोड़ा गया विषैला एवं रसायन युक्त पानी |
(ii) कृषि कार्य में उपयोग होने वाले पीड़कनाशी या उर्वरक आदि का जलशयों में मिल जाना |
(iii) नदियों में मरे हुए जीवों को प्रवाहित करना आदि |
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