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CBSE NOTES for class 10 th

 

16. प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन : Science class 10 th:Hindi Medium NCERT Book Solutions

NCERT Books Subjects for class 10th Hindi Medium

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16. प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

 

अध्याय 16. 


प्राकृतिक संसाधन : वे संसाधन जो हमें पृकृति ने दिए हैं और जो जीवों के द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं | 

प्राकृतिक संसाधनों का उदाहरण : 

मिटटी, जल, कोयला, पेट्रोलियम, वन्य जीव और वन इत्यादि | 

प्रदूषण : प्राकृतिक संसाधनों का दूषित होना प्रदुषण कहलाता है |

प्रदुषण के प्रकार : 

(i) जल प्रदुषण 

(ii) मृदा प्रदूषण 

(iii) वायु प्रदुषण 

पर्यावरण समस्याएँ : पर्यावरण समस्याएँ वैश्विक समस्याएँ हैं तथा इनके समाधान अथवा परिवर्तन में हम अपने आपको असहाय पाते हैं। इनके लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं विनियमन हैं तथा हमारे देश में भी पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक कानून हैं। अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य कर रहे हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन की आवश्यकता : 

(i) प्राकृतिक संसाधनों के संपोषित विकास लिए |

(ii) विविधता को बचाने के लिए | 

(iii) पारिस्थितिक तंत्र को बचाने के लिए | 

(iv) प्राकृतिक संसाधनों को दूषित होने से बचाने के लिए |

(v) संसाधनों को समाज के सभी वर्गों में उचित वितरण और शोषण से बचाना | 

संसाधनों के दोहन का अर्थ : 

जब हम संसाधनों का अंधाधुन उपयोग करते है तो बडी तीव्रता से प्रकृति से इनका हा्रास होने लगता है । इससे हम पर्यावरण को क्षति पहुँचाते है । जब हम खुदाई से प्राप्त धातु कर निष्कर्षण करते है तो साथ ही साथ अपशिष्ट भी प्राप्त होता है जिनका निपटारा नहीं करने पर पर्यावरण को प्रदूषित करता है । जिसके  कारण बहुत सी प्राकृतिक आपदाएँ होती रहती है | ये संसाधन हमारे ही नहीं अपितु अगली कई पिढियों के भी है । 

गंगा कार्य परियोजना - यह कार्ययोजना करोड़ों रूपयों का एक प्रोजेक्ट है। इसे सन् 1985 में गंगा स्तर सुधारने के लिए बनाया गया।

गंगा कार्य परियोजना का उदेश्य : 

(i) गंगा के जल की गुणवता बहुत कम हो गई थी | 

(ii) गंगा के जल स्तर सुधारने के लिए | 

जल की गुणवता जाँचने के तरीके : 

(i) जल का pH जो आसानी से सार्व सूचक की मदद से मापा जा सकता है।
(ii) जल में कोलिफार्म जीवाणु की उपस्थिति जो मानव की आंत्र में पाया जाता है | इसकी उपस्थिति जल का संदूषित होना दिखाता है।

तीन R का अर्थ और महत्त्व : 

तीन R का अर्थ है Reduce (कम प्रयोग) Recycle (पुन: चक्रण) Reuse (पुन: प्रयोग) है | 

Reduce (कम प्रयोग): संसाधनों के कम से कम प्रयोग कर व्यर्थ उपयोग रोक सकते है | कम उपयोग से प्रदुषण भी कम फैलता है | 

Recycle (पुन: चक्रण): प्लास्टिक , कागज, काँच ,धातु की वस्तुएँ आदि का Recycle (पुनः चक्रण) कर उपयोगी वस्तुएँ बनाना चाहिए। जल्द समाप्त होने वाली संसाधनों को बचाया जा सके और ये पर्यावरण को प्रदूषित न कर सके । यू ही फेंक देने से ये पर्यावरण में प्रदूषण फैलाती हैं । 

Reuse (पुन: प्रयोग) : यह पुनः चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि पुनःचक्रण में ऊर्जा व्यय होती है जिसमें संसाधनो का हा्रास होता है । ऐसी वस्तुए जिनका पुनः उपयोग हो सकता है जैसे प्लास्टिक की बोतले और डब्बे आदि का उपयोग कर लेना चाहिए । 

संपोषित विकास - संपोषित विकास की संकल्पना से तात्पर्य है ऐसा विकास जो पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए मनुष्य की वर्त्तमान अवश्यकातों की पूर्ति और विकास के साथ-साथ भावी संतति के लिए संसाधनों का संरक्षण भी करती है।

संपोषित विकास का उदेश्य : 

(i) मनुष्य की वर्तमान आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं विकास को प्रोत्साहित करना |

(ii) पर्यावरण को नुकसान से बचाना और भावी पीढ़ी के लिए संसाधनों का संरक्षण करना |

(iii) पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास को बढ़ाना |

प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते समय किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए : 

(i) दीर्घकालिक दृष्टिकोण : ताकि ये संसाधन अगली पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सके | 

(ii) इन्हें दोहन या शोषण से बचाया जा सके |

(iii) यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इनका वितरण सभी वर्गों में सामान रूप से हो न कि मात्र मुटठी भर अमीर और शक्तिशाली लोगों को इनका लाभ मिले |

(iv) संपोषित प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में अपशिष्टों के सुरक्षित निपटान की भी व्यवस्था होनी चाहिए।

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