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CBSE NOTES for class 12 th

 

Chapter 1. प्रबंध की प्रकृति एवं महत्व : Business Study class 12 th:Hindi Medium NCERT Book Solutions

NCERT Books Subjects for class 12th Hindi Medium

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Chapter 1. प्रबंध की प्रकृति एवं महत्व

 

प्रबंध का स्तर -

1. उच्चस्तरीय प्रबन्ध - यह संगठन के सबसे बड़े अधिकारी होते है | इन्हें आमतौर पर चेयरमैन,मुख्य अधिकारी, प्रधान, उपप्रधान आदि के नाम से पुकारा जाता है | इनके कार्य निम्न है -

(क) विभिन्न विभागों के बीच एकता और सामंजस्य स्थापित करना |

(ख) उद्देश्य निर्धारित करना |

(ग) व्यवसायिक नीतिया तैयार करना |

(घ) व्यवसायिक पर्यावरण तथा उनके प्रभावों का विश्लेषण करना |

(ङ) संगठन को चलाने के लिए वित(धन) की व्यवस्था करना |

(च) संसाधन जुटाना |

2. मध्यस्तरीय प्रबन्ध - मध्यस्तरीय प्रबंधक को आमतौर पर विभाग प्रमुख, परिचालन प्रबंधक आदि के नाम से जाना जाता है | ये  उच्च प्रबन्धन के अधीन काम करते है | इनके कार्य निम्न है -

(क) यह उच्चस्तरीय प्रबंधक तथा निम्नस्तरीय प्रबंधक के बीच कड़ी का कार्य करते है |

(ख) उच्चस्तरीय प्रबन्ध द्वारा बनाई गई योजनाओं को लागू करना |

(ग) कर्मचारियों को उनका कार्य और दायित्व सौपना |

(घ) यह देखना की उनके विभाग में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी है या नहीं |

(ङ) कर्मचारियों को प्रेरित करना |

(च) सम्बंधित विभागों का मार्गदर्शन या नेतृत्व करना |

3. निम्नस्तरीय या परिचालन प्रबन्ध - निम्नस्तरीय प्रबंध में फोरमैन, निरीक्षक और पर्यवेक्षक आते है | ये उच्च तथा निम्न प्रबंधक के दिशानिर्देश के अनुसार काम करते है | इनके कार्य निम्न है -

(क) कर्मचारियों को चुनना |

(ख) मध्यस्तरीय प्रबंधको के दिशानिर्देशो को कर्मचारियों तक पहुँचाना |

(ग) कर्मचारियों में अनुशासन बनाना |

(घ) कर्मचारियों को सुझाव देना तथा उनकी समस्याओं को हल करना |

(ङ) कर्मचारियों को अच्छा काम करने का वातावरण प्रदान करना |

(च) काम करने के लिए जरूरी उपकरणों की व्यवस्था करना |

प्रबंध के कार्य -

1. नियोजन - प्रबंध का सबसे पहला कार्य नियोजन है अर्थात क्या करना है, कैसे करना है, कौन सा काम किसके द्वारा किया जाना है इसका निर्णय पहले करना प्रबंध का पहला कार्य है 

2. संगठन - नियोजन के बाद प्रबंध का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कार्यो को पहचान कर उनको बाँटना है, कर्तव्यो का निर्धारण करना तथा यह निर्धारित करना की कौन किससे आदेश लेगा और किसके प्रति जवाबदेह होगा |

3. नियुक्तिकरण - प्रबंध का अगला कार्य नियुक्तिकरण है अर्थात खाली पदों पर योग्य कर्मचारियों की भर्ती करना, उन्हें प्रशिक्षण आदि देना है |

4. निर्देशन - नियुक्तिकरण के बाद प्रबंध का अगला कार्य निर्देशन अर्थात कर्मचारियों का मार्गदर्शन करना तथा उन्हें काम करने के लिए प्रेरित करना है |

5. नियंत्रण - प्रबंध का अंतिम कार्य नियंत्रण है जिसका अर्थ है वास्तविक निष्पादन (present performance) को नियोजित निष्पादन (planed performance) से तुलना करना, कमियों और कारणों का पता लगा कर सुधारात्मक कार्यवाही करना है | 

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