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Class 11 Chapter 1. व्यवसाय के आधार वाणिज्य में सम्मिलित क्रियाएँ : : NCERT Book Solutions


Class 11 chapter Chapter 1. व्यवसाय के आधार important extra short questions with solution for board exams and term 1 and term 2 exams.

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Chapter 1. व्यवसाय के आधार : वाणिज्य में सम्मिलित क्रियाएँ : Business Study class 11th:Hindi Medium NCERT Book Solutions

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Class 11 Chapter 1. व्यवसाय के आधार वाणिज्य में सम्मिलित क्रियाएँ : : NCERT Book Solutions

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Chapter 1. व्यवसाय के आधार

 

Class 11 chapter Chapter 1. व्यवसाय के आधार important extra short questions with solution for board exams and term 1 and term 2 exams.

वाणिज्य में सम्मिलित क्रियाएँ :

वाणिज्य में सम्मिलित क्रियाएँ : 

  1. व्यापार : व्यापार से अभिप्राय उन आर्थिक क्रियाओं से है जो वस्तुओं के बिक्री तथा विनिमय से सम्बंधित है |

 2. व्यापार के सहायक : वे क्रियाएँ जो व्यवसाय में व्यापार की सहायता करती है उन्हें व्यापार के सहायक या व्यापार की सहायक क्रियाएँ कहते है |

व्यापार का वर्गीकरण :    

(क) आंतरिक व्यापार: आंतरिक व्यापार वह व्यापार होता है जिसमें किसी देश की भुगौलिक सीमा के अंदर वस्तुओं का बिक्री तथा विनिमय किया जाता है | आंतरिक व्यापार दो प्रकार के होते है :

  • थोक व्यापार : थोक व्यापार वह व्यापार होता है जिसमे एक ही प्रकार की वस्तुओं का  क्रय-विक्रय तथा विनिमय बड़ी मात्रा में किया जाता है |
  • फुटकर व्यापार : फुटकर व्यापार वह व्यापर होता है जिसमे एक ही प्रकार की वस्तुओं का क्रय-विक्रय तथा विनिमय कम मात्रा में किया जाता है |

(ख) बाह्य व्यापार : बाह्य व्यापार वह व्यापार होता है जो दो या दो से अधिक देशो के बीच किया जाता है | बाह्य व्यापार तीन प्रकार का होता है :

  • आयात व्यापार : आयात व्यापार वह व्यापार होता है जिसमें दूसरे देशो से वस्तुओं को ख़रीदा जाता है उसे आयात व्यापर कहतें है |
  • निर्यात व्यापार : निर्यात व्यापार वह व्यापार होता है जिसमें दूसरे देशो में वस्तुओं को बेचा जाता है उसे निर्यात व्यापर कहतें है |
  • पुनर्निर्यात व्यापार : पुनर्निर्यात व्यापार वह व्यापार होता है जिसमें एक देश से वस्तुओं को खरीद कर उसे दूसरे देश में बेचा जाता है | दूसरे शब्दों में , पुनर्निर्यात व्यापार वह व्यापार होता है जिसमें एक देश से वस्तुओं का आयात कर दूसरे देशो में निर्यात किया जाता है | 

​व्यापार के सहायक : वे क्रियाएँ जो व्यवसाय में व्यापार की सहायता करती है उन्हें व्यापार की सहायक या व्यापार की सहायक क्रियाएँ कहते है | दुसरे शब्दों में वे क्रियाएँ जो व्यवसाय में सहायक की भूमिका निभाती है उन्हें व्यापार की सहायक क्रियाएँ कहतें है | जैसे - परिवहन , बैंकिंग , बीमा , विज्ञापन आदि | 

  • व्यापार की सहायक क्रियाएँ व्यापार का अनिवार्य अंग है यह क्रियाएँ वस्तुओं के उत्पादन तथा विनिमय में आने वाली समस्याओं को दूर करनें में सहायता करतें है |

व्यापार के सहायक क्रियाओं का वर्गीकरण :   

  1. परिवहन : परिवहन व्यापार में स्थान सम्बंधित समस्याओं को दूर करने में सहायता करता है | व्यापार में वस्तुओं के उत्पादन से उपभोगताओं तक वस्तुओं को पहुँचाने में सहायक की भूमिका निभाता है | व्यापार में वस्तुओ को एक जगह से दुसरे जगह पहुचना होता है जिसमें परिवाक्हकं सहायत करता है | 
  2. बैंकिंग और वित् : किसी भी व्यवसाय को आरंभ करने के लिए धन की आवश्यकता होती है | बैंक व्यवसाय को आरंभ करने के लिए वित् सम्बंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक की भूमिका निभाता है | व्यवसायी बैंको से वित् की व्यवस्था कर सकते है | बैंक चैको की वसूली करना , उधार देना आदि समस्याओं को दूर करती है |
  3. बीमा : व्यवसाय को विभिन्न प्रकार के जोखिमो का सामना करना पड़ता है | बीमा व्यवसाय में जोखिमो से सुरक्षा करने में सहायता करता है | बीमा व्यवसाय में होने वाली हानि की क्षतिपूर्ति करती है |
  4. भंडारण : व्यवसाय में वस्तुओ के उत्पादन से बिक्री के बीच काफी समय होता है | इसलिए उत्पादन के पश्चात् बिकने तक उसे गोदामों में सुरक्षित रखा जाता है | भंडारण व्यवसाय में संग्रहण सम्बंधित समस्याओ को दूर करता है | 
  5. विज्ञापन : व्यवसाय में विज्ञापन की महत्वपूर्ण भूमिका है | उत्पादक स्वयं प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता से नहीं मिल सकता है इसलिए उत्पादक अपने पदार्थ की गुणवत्ता आदि की जानकारी उपभोगताओ को विज्ञापन द्वारा पहुंचाते है | ]

व्यवसाय में लाभ का महत्व और उसकी भूमिका :

  • लाभ व्यवसाय की आय का स्रोत है |
  • लाभ व्यवसाय की वृद्धि का प्रतिक हैं |
  • लाभ व्यवसाय के अच्छे तथा कुशल प्रबंधन के लिए आवश्यक है |
  • लाभ व्यवसाय की समाज में अच्छी प्रतिष्ठा का प्रतिक है |
  • लाभ व्यवसाय के विकास एवं फैलाव के लिए आवश्यक है |

व्यवसाय के उद्देश्य :

  • व्यवसाय का सबसे बड़ा तथा पहला उद्देश्य लाभ अर्जित करना है व्यवसाय को आरंभ ही लाभ कमाने के उदेश्य से किया जाता है | लाभ व्यवसाय की आय का स्रोत है |
  • व्यवसाय का दूसरा उद्देश्य है अपने प्रतियोगियों से आगे निकलना तथा अच्छे गुणवत्ता वाले उत्पाद उपभोगताओ को उपलब्ध कराना |
  • व्यवसाय का तीसरा मुख्य उद्देश्य अपने उत्पादों में तथा कार्य करने के तरीके में नए-नए परिवर्तन करते रहना ताकि उपभोगताओ की उत्पादों में रूचि बनी रहे |
  • व्यवसाय का चौथा उद्देश्य उत्पादकता को बढ़ाना अर्थात् अधिक से अधिक उत्पादन क बढ़ाना | अच्छी तकनीको , उपलब्ध स्रोतों एवं संसाधनों का उचित प्रयोग करना ताकि अधिक से अधिक उत्पादन को बढाया जा सके |
  • व्यवसाय का एक उद्देश्य वितीय तथा भौतिक संसाधनों को बढ़ाना तथा उचित प्रयोग करना है ताकि उत्पादन को ज्यादा से ज्यादा बढाया जा सके |
  • व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य अपने कर्मचारियों तथा प्रबंधन को कुशल करना भी है , जितना अच्छा प्रबंधन होता है वह व्यवसाय उतना विकास करता है | अपने कर्मचारियों को अच्छी सुविधाएँ प्रदान करना तथा उन्हें प्रोत्साहित करना भी है |
  • सभी व्यवसाय का एक दायित्व समाज के प्रति भी होता है कि वह समाज में अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध कराएँ तथा सामाजिक कार्य करे |

 

 

 

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इस पाठ के अन्य दुसरे विषय भी देखे :

1. व्यवसाय की अवधारणा

2. उद्योगों का वर्गीकरण

3. वाणिज्य में सम्मिलित क्रियाएँ :

4. Page 4

5. व्यावसायिक जोखिम

6. Assignment

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