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Class 12 Chapter 1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ अभ्यास (NCERT book): NCERT Book Solutions


Class 12 chapter Chapter 1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ ncert exercise questions and textual questions with solution for board exams and term 1 and term 2 exams.

NCERT Solutions

All chapters of ncert books History Part-1 Chapter 1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ अभ्यास (NCERT book) is solved by exercise and chapterwise for class 12 with questions answers also with chapter review sections which helps the students who preparing for UPSC and other competitive exams and entrance exams.

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Chapter 1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ : अभ्यास (NCERT book) History Part-1 class 12th:Hindi Medium NCERT Book Solutions

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Class 12 Chapter 1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ अभ्यास (NCERT book): NCERT Book Solutions

NCERT Books Subjects for class 12th Hindi Medium

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Chapter 1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ

 

Class 12 chapter Chapter 1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ ncert exercise questions and textual questions with solution for board exams and term 1 and term 2 exams.

अभ्यास (NCERT book)

ईंटे, मनके तथा अस्थियाँ – हड़प्पा सभ्यता


प्रश्न - हड़प्पा संस्कृति के विस्तार, तथा नामकरण की संक्षिप्त जानकारी दीजिये|

उत्तर – हड़प्पा संस्कृति सिन्धु घाटी की सभ्यता का दूसरा नाम है | पुरातत्विद ‘ संस्कृति ’ शब्द का प्रयोग पुरावस्तुओ के ऐसे समूह के लिए करते है जो एक विशेष सैली की होती है | उनका संबंध प्रायः एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र तथा काल खंड से होता है | हड़प्पा सभ्यता के संदर्भ में इन विशिष्ट पुरावस्तुओ में मुहरें, मनके, बाट, पत्थर के फलक और पकी हुई इंटें शामिल है | ये वस्तुएं अफगानिस्तान, जम्मू, बिलोचीस्तान (पाकिस्तान) तथा गुजरात आदि क्षेत्रों से मिली है जो एक दुसरे से लम्बी दुरी पर स्थित है |

नामकरण तथा काल – इस सभ्यता का नामकरण हड़प्पा नामक पुरास्थल के नाम पर किया गया है | यह संस्कृति पहेली बार इस्सी स्थान पर खोजी गयी थी | इसका काल लगभग 2600 ई॰ पू॰ से 1900 ई॰ पू॰ माना जाता है | इस क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता से पहले और बाद में भी संस्कृतियों का अस्तित्व था, जिन्हें क्रमशः आरंभिक तथा परवर्ती हड़प्पा संस्कृतियाँ कहा जाता है | हड़प्पा सभ्यता की इन संस्कृतियों से अलग करने के लिए कभी- कभी इसे विकसित हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है |

प्रश्न - हड़प्पाई लोगो के निर्वाह के तरीके कौन – कौन से थे ?

                        अथवा

इतिहासकारों ने हड़प्पा संस्कृति के निर्वाह के तरीके को किस प्रकार नई दिशा प्रदान की है ?

उत्तर – इतिहासकारों ने खुदाइयों में मिले अवशेषों तथा पूरा – वस्तुओं के आधार पर हड़प्पा संस्कृति के निर्वाह के तरीकों का पता लगाया है | इनके अनुसार हड़प्पा सभ्यता के लोगो के निर्वाह के मुख्य तरीके निम्नलिखित थे –

1) लोग कई प्रकार के पेड़- पौधों तथा जानवरों से भोजन प्राप्त करते थे | मछली उनका मुख्य आहार था |

2) उनके अनाजों में गेहुँ, जौ, दाल, सफ़ेद चना तथा तिल शामिल थे | इन अनाजों के दाने कई हड़प्पा स्थलों से मिले है |

3) लोग बाजरा तथा चावल भी खाते थे | बाजरे के दाने गुजरात के स्थलों से मिले है | चावल का प्रयोग संभवत: कम किया जाता था, क्योंकि चावल के दाने अपेक्षाकृत कम मिले है |

4) वे जिन जानवरों से भोजन प्राप्त करते थे, इनमे भेड़, बकरी, भैंस तथा सूअर शामिल थे |ये सभी जानवर पालतू थे |

प्रश्न - हड़प्पा के शहरी केन्द्रों में सर्वाधिक अनूठे पहलू का संक्षेप में वर्णन कीजिये |

                             अथवा

 “ मोहनजोदड़ो का सबसे अनूठा पहलू सहरी केंद्रों का विकास था |” इस कथन को उदाहरण सहित पुष्टि कीजिये |

उत्तर – हड़प्पा सभ्यता का सबसे अनूठा पहलू शहरी केन्द्रों का विकास था | इसे हड़प्पा सभ्यता के सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल मोहनजोदड़ो के अध्धन से समझा जा सकता है | यह एक नियोजित शहर था | इसके दो भाग थे – दुर्ग तथा निचला शहर | इस नगर की महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित थे –

1) सड़को तथा गलियों का ग्रिड पद्दति में निर्माण |

2) समुचित जल निकासी वयवस्था |

3) समान आकार की तथा पकी ईंटो का प्रयोग |

4) आवासों की निश्चित योजना के अनुसार रचना |

5) मोहनजोदड़ो के दुर्ग मिली महत्त्वपूर्ण संरचनाए जैसे – मालगोदाम तथा विशाल स्न्नागार |

प्रश्न - हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना की प्रमुख विशेषताएं बताओ |

उत्तर- हड़प्पा संस्कृति की नगर योजना उच्च कोटि की थी | नगर एक योजना के अनुसार बसाये जाते थे | नगरो की गलियाँ और सड़के काफी चौड़ी होती थी | सभी सड़के एक दुसरे को समकोण पर काटती थी | लोग पकी ईंटो से बने मकान में रहते थे | शासक वर्ग के लोगो के मकान नगर के दुर्गो पर थे जबकि साधारण लोग नीचे की भूमि पर रहते थे | मकानों में खिड़की दरवाजो की वयवस्था थी | कुछ मकान दो या तीन मंजिलो के भी थे | लोग विशाल भवन भी बनाते थे | मोहनजोदड़ो में एक विशाल स्नानागार मिला है जो 11.88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा था |

     हड़प्पा संस्कृति के लोगो ने जल निकास के लिए नालियों की बड़ी अच्छी वयवस्था की हुई थी नालियां पकी बनी हुई थी | इन्हें ऐसी ईंटो से ढका जाता था जिन्हें सफाई करते समय आसानी से हटाया जा सकता था | घरो की नालियो का पानी गली नालियों में जा गिरता था और नगर के बाहर एक बहुत बड़ा नाला था जिसमे सरे नगर का गंदा पानी इकट्ठा हो जाता था

प्रश्न - हड़प्पा काल में शिल्प तथा उद्योग के में होने वाले विकास का वर्णन कीजिये |

उत्तर- हड़प्पा संस्कृति के लोग कांस्य के निर्माण तथा प्रयोग से भली-भाँति परिचित थे | तांबे से टिन मिलाकर धातु शिल्पियों द्वारा काँसा बनाया जाता था | वे प्रतिमाओ और बर्तनों के अतिरिक्त कई प्रकार के औजार तथा हथियार बनाते थे ; जैसे – आरी, कुल्हाड़ी, छुरा तथा बर्छा | वहाँ के लोग ऊन अथवा सूत कातने के लिए तकलियों का प्रयोग करते थे | ऊनी तथा सूती दोनों प्रकार के कपडे बुने जाते थे हड़प्पा के लोग नावों का निर्माण भी करते थे | वे लोग मुद्रा – निर्माण (मिटटी की मोहरें बनाना ) और मूर्ति- निर्माण में काफी कुशल थे |

हड़प्पा के कारीगर सोने- चाँदी तथा रत्नों के आभूषण तथा मिटटी, ताबें, काँसे के बर्तन बनाने की कला में भी कुशल थे | उनके द्वारा बनाये गए मिटटी के बर्तन चिकने तथा चमकीले होते थे |  

प्रश्न - चन्हुदड़ो में शिल्प उत्पादन के विभिन्न अभिलक्षणों को स्पष्ट कीजिये |

उत्तर 1) चन्हुदड़ो की हड़प्पाकालीन बस्ती लगभग पूरी तरह शिल्प उत्पादन में संग्लन थी |

2) यहाँ के शिल्प कार्यो में मनके बनाना, शंख की कटाई, धातुकर्म, मुहरें बनाना बाट बनाना आदि शामिल थे |

3) मनको के निर्माण में विविधता पायी जाती थी | कुछ मनके दो या अधिक पत्थरो को आपस में जोड़कर बनाये जाते थे | इनके कई आकार होते थे ; जैसे – चक्राकार, बेलनाकार, गोलाकार, ढोलाकर तथा खंडित | कुछ अन्य मनको को चित्रकारी द्वारा सजाया गया था और कुछ पर रेखा चित्र उकेरे गए थे |

4) मनके बनाने की तकनीको में भी भिन्नता पाई जाती थी | उदहारण के लिए सेलखड़ी, जो एक बहुत ही मुलायम पत्थर है, पर आसानी से कार्य हो जाता था | कुछ मनके सेलखड़ी चूर्ण के लेप को सांचे में ढाल कर तैयार किये जाते थे | इससे विविध आकारों के मनके बनाये जा सकते थे |

 

प्रश्न - मोहनजोदड़ो के वास्तुकला सम्बन्धी लक्षण किस प्रकार नियोजन की ओर संकेत करते है ? विभिन्न उदाहरणों द्वारा पुष्टि कीजिये |

उत्तर – मोहनजोदड़ो एक नियोजित शहरी केंद्र था | इसके वास्तुकला सम्बन्धी निमंलिखित लक्षण निय्जन की ओर संकेत करते है –

1) शहर दो भागो में बँटा हुआ था – दुर्ग तथा निचला शहर |

2) यह एक निश्चित क्षेत्र तक सिमित था | इसलिए ऐसा प्रतीत होता था की पहले बस्ती का नियोजन किया होगा और फिर उसके अनुसार निर्माण कार्य किया गया होगा |

3) सड़के तथा गलियाँ चौड़ी थी | ये एक दुसरे को समकोणों पर काटती थी |

4) नगर में नालियाँ बनाकर जल- निकासी की समुचित व्यवस्था की गयी थी |

प्रश्न – हड़प्पावासियो के धार्मिक विश्वासों की जानकारी प्राप्त करने में वहाँ प्राप्त मुहरे किस प्रकार सहायक होती है ? संक्षेप में वर्णन कीजिये |

उत्तर – हड़प्पावासियो के धार्मिक विश्वासों के बारे में वहां से प्राप्त मोहरों से हमें निम्न्लिखित जानकारी मिलती है –

पुरुष देवता – खुदाई में एक सील मिली है जिस पर पुरुष देवता को चित्रित किया गया है | उसके सिर पर तीन सींग दिखाये गए है | उसे एक योगी की तरह ध्यान मुद्रा में बैठे दिखाया गया है | उसके चारो ओर एक हाथी, एक बाघ और एक गेंडा है |आसन्न के निचे एक भैस तथा पाँवों पर दो हिरन है | हड़प्पा मे पत्थर पर बने लिंग तथा योनि के अनेकों प्रतीक मिले है| इससे ये अनुमान लगाया जाता है कि लिंग और योनि की पुजा हड़प्पा काल मे आरंभ हुई |

वृक्षों और पशुओं की पूजा – खुदाई से मिलने वाली एक सील पर पीपल की दलियूं के बीच में एक देवता को दिखाया गया है | इससे पता चलता है की सिन्धु क्षेत्र के लोग वृक्ष की पूजा भी करते थे | एक अन्य सील पर अंकित कूबड़ वाला बैल भी इसी बाट को सिद्ध करता है |

प्रश्न – मोहनजोदड़ो के आवासियो भवनों के विशिष्ट विशेषताओ को स्पष्ट कीजिये|

उत्तर – आवासियों भवनों का विस्तार मोहनजोदड़ो के निचले शहर में था | इन भवनियो की विशिष्ट विशेषताए निम्नलिखित है –

  1. हर घर का इंटों से बना अपना एक स्नानघर होता है |
  2. घर की नालियां घर के माध्यम से सड़क की नाल्लियों से जुडी हुई थी |
  3. कुछ घरो में दुसरे तल या छत पर जाने के लिए सीढियां बनायीं गयी थी | कई आवासों में कुएं थे |
  4. कुएं प्रायः एक ऐसे कक्ष में बने ए गए थे जिसमे बहार से आया जा सकता था | इसका प्रयोग संभवता राहगीरों द्वारा किया जाता था |  

प्रश्न - हड़प्पा संस्कृति के लोगो के सामाजिक जीवन की प्रमुख विशेषताए लिखिए|

उत्तर – हड़प्पा संस्कृति के लोगो के सामाजिक जीवन की मुख्य विशेषताओ का वर्णन इस प्रकार है –

1. भोजन – ये लोग गेहूँ, चावल, सब्जियां तथा दूध का प्रयोग करते है| मांस- मछली तथा अंडे भी उनके भोजन के अंग थे |

2. वेश–भूषा – हदपप संस्कृति के लोग ऊनी और सूती दोनों प्रकार के वस्त्र पहनते थे | पुरुष प्रायः धोती और शाल धारण करते थे | स्त्रियाँ प्रायः रंगदार और बेलबूटों वाले वस्त्र पहनती थी स्त्रियाँ और पुरुष दोनों ही आभूषण पहनने के शौक़ीन थे |

3. मनोरंजन के साधन – लोगो मनोरंजन के मुख्य साधन घरेलु खेल थे | वे प्रायः नृत्य, संगीत और चौपड़ आदि खेल कर अपना मन बहलाया करते थे | बच्चों के ख्रेलने के लिए विभिन्न प्रकार के खिलौने थे |

प्रश्न – हड़प्पा सभ्यता के विनाश के कारण लिखें |

उत्तर – हड़प्पा संस्कृति के विनाश के मुख्य कारण निम्नलिखित है –

1. बाढ़े – कुछ विद्वानों का कहना है की सिंधु नदी में आने वाली बाढ़ों के कारण यहाँ के नगर नष्ट हुए | समय के साथ – साथ वे रेत के नीचे दब गए |

2. भूकंप – ऐसा भी विश्वास किया जाता है की हड़प्पा संस्कृति में जोरदार भूकंप आये होंगें | उन्हीं भूकम्पों के कारण वहां के नगर नष्ट- भ्रष्ट हो गए |

3. अकाल तथा महामारियाँ – कुछ विद्वानों का मत है की उस प्रदेश में भयंकर अकाल पड़ा होगा या फिर भयंकर महामारी फैली होगी जो उसके विनाश का कारण बनी |

4. आर्य जाति के आक्रमण – कई इतिहासकारों का मत है कि वहां के लोगो को आर्य जाति के लोगो युद्ध करने पड़े | इन युद्धों में हड़प्पा के लोग पराजित हुए और हड़प्पा संस्कृति का अंत हो गया |

प्रश्न – हड़प्पा संस्कृति के पतन के साथ – साथ नगरवाद के लक्षण समाप्त होने लगे थे| उदहारण दे कर स्पष्ट कीजिये |

उत्तर – हड़प्पा संस्कृति के पतन के साथ – साथ नगरवाद के लक्षण समाप्त होने लगे थे | इस बाट की जानकारी उत्तरकालीन हड़प्पा संस्कृति से संबंधित अवशेषों से मिलती है | स्थान- स्थान पर आभूषणों की निधियां गड़ी मिलि है | एक स्थान पर मानव खोपड़ियों का ढेर पाया गया | मोहनजोदड़ो की उपरी सतह में नए प्रकार की कुल्हाड़ियाँ तथा छुरियाँ मिली है | यह वस्तुए किसी बाहरी आक्रमण का संकेत देती है | पंजाब तथा हरियाणा से मिलने वाले उत्तरकालीन हड़प्पा के मृदभांड वैदिक लोगो से जुड़े है | इनसे संबंधित स्थल देहाती बस्तियां मात्र ही है | ये सभी भारत के प्रथम नगरवाद की समाप्ति को दर्शाती है |

प्रश्न- हडप्पावादियों द्वारा शिल्प उत्पादन हेतु माल प्राप्त करने के लिए अपनाई है नीतियों को सपष्ट कीजिए?

उत्तर- हड़प्पा संसकृति में कई प्रकार के शिल्प प्रचलित थे, जो संभवत: राज्य द्वारा व्यवस्थित होते थे| तांबे में तीन मिलाकर धातु शिल्पियों द्वारा कांसा बनाया जाता था| शिल्पी काँसे से प्रतिमाओं और बर्तनों के अतिरिक्त कई प्रकार के औजार तथा हथ्यार बनाते थे; जैसे- आरी, कुल्हाड़ी, छुरा तथा बर्छा| खुदाई में जो वस्तुएं मिली है, उनसे पता चलता है कि हड़प्पा के नगरों में कई अन्य महत्वपूर्ण शिल्प भी थे| इन शिल्पों के लिए कच्चा माल निम्नलिखित तरीकों से प्राप्त किया जाता था-

1. बस्तियाँ स्थापित करना- हड़प्पावासी उन स्थानों पर बस्तियाँ स्थापित करते थे, जहाँ कच्चा माल आसानी से उपलब्ध था| उदाहरण के लिए नागेश्वर और बालाकोट में शंख आसानी से उपलब्ध था| ऐसे ही कुछ अन्य पुरास्थल थे- सुदूर अफगानिस्तान में शोर्तुघई|

2. अभियान भेजना –अभियान योजना कचे माल प्राप्त करने की एक अन्य निति थी |उदहारण के लिए राजस्थान के खेतड़ी आँचल में तांबे के लिए दक्षिण भारत में (सोने के लिए अभियान भेजे गए | इन अभियानों के माध्यम से स्थानीय समुदाये के साथ संपर्क स्थापित किया जाता था | यहाँ तांबे की वस्तुओ की विशाल संपदा मिली थी | संभवत इस क्षेत्र के निवासी हड़प्पा सभ्यता के लोगों को तांबा भेजते थे |

प्रश्न – हड़प्पा के पश्चिमी ऐशिया के साथ व्यापार सम्बन्धो का वर्णन कीजिए |

उत्तर – हड़प्पा के पश्चिमी एशिया के साथ व्यापार सम्बन्धो की पुष्टि पुरातात्विक प्रमाणों से होती है –

(1) ओमान से तांबा लाया जाता है| हड़प्पा तथा ओमान के तांबे में निक्कल के अंश इस बाट की पुष्टि करते है |

(2) ओमान से एक स्थल से हड़प्पाई ज़ार पाया गया है जिस पर कलि मिटटी की एक परत चढाई गयी थी |

(3) हड़प्पा के बाट, मालाएं तथा मुहरें मेसोपोटामिया के स्थलों से प्राप्त हुई है |

(4) हड़प्पा की मुहरों पर जहाजों तथा नावों के चित्र व्यापारिक संबंधों की पुष्टि करते है |

प्रश्न हड़प्पा सभ्यता के शवाधनों की मुख्य विशेषताए बताईये |

उत्तर – हड़प्पा सभ्यता से मिली शवाधानों में मृतकों को प्रायः गर्तों में दफनाया गया था | कुछ स्थानों पर गर्त की सतहों पर ईटों की चिनाई की गयी थी | कुछ कब्रों में मृदभांड तथा आभूषणों मिले है | ये एक ऐसे मान्यता की ओर संकेत करते है जिनके अनुसार इन वस्तुओ का प्रयोग मृत्योपरांत किया जा सकता था | पुरुष एउर महिलाये दोनों में ही आभूषण मिले होते थे | 1980 के दशक के मध्य में हड़प्पा के कब्रिस्तान में हुई खुदाइयों में एक पुरुष के खोपड़ी के समीप शंख के तीन छल्ले, जैस्पर के मनके तथा सैंकड़ो की संख्या में बारीक़ मनको से बना एक आभूषण मिला था |  

प्रश्न- पुरावस्तुएं हड़प्पा काल की सामजिक विभिन्नताओं के अंतर को पहचानने में किस प्रकार सहायक होती है? वर्णन कीजिए|

उत्तर – पुरावस्तुओ का अध्ययन हड़प्पा कालीन सामाजिक विभिन्नताओ को पहचानने का एक अच तरीका है | पुरातत्विद इन वस्तुओ को मोटे तौर पर उपयोगी तथा विलास की वस्तुओ में वर्गीकृत करते है |पहले वर्ग में उपयोग की वस्तुए शामिल है | इन्हें पत्थर अथवा मिट्टी आदि साधारण पद्धार्थो से आसानी से बनाया जा सकता है | इनमे चक्कियाँ, मृदभांडसुइयां आदि शामिल है | यह वस्तुए लगभग सभी बस्तियों में पाई जाती है|इन वस्तुओ को कीमती माना जाता है जो दुर्लभ हो अथवा महँगी ही या फिर स्थानीय स्तर पर न मिलने वाले पदार्थोँ से अथवा जटिल तकनीको से बनी हो | जिन बस्तियों में ऐसी कीमती वस्तुए मिलती है, वहां के समाजों का स्तर अपेक्षाकृत ऊँचा रहा होगा |  

प्रश्न – हड़प्पा सभ्यता का अंत किस प्रकार हुआ ?

                   अथवा 

हड़प्पा सभ्यता में 1900 ई॰पू॰ के बाद आये किन्ही दो बदलाव का उल्लेख कीजिये| ये परिवर्तन कैसे आ सके ? स्पष्ट कीजिए|

उत्तर- बदलाव- (1) सभ्यता की विशिष्ट वस्तुएं जैसे कि बाट, मुहरें तथा विशिष्ट मनके समाप्त हो गए|

(2) आवास निर्माण की तकनीकों का पतन हुआ तथा बड़े सार्वजनिक भवनों का निर्माण बंद हो गया|

परिवर्तनों के कारण- इन परिवर्तनों के लिए मुख्य रूप से निम्नलखित कारक उत्तरदायी थे:

(1) जलवायु परिवर्तन

(2) अत्यधिक बाढें

(3) वनों की काट

(4) नदियों का सूख जाना अथवा मार्ग बदल लेना

(5) भूमि का अत्यधिक उपयोग आदि|

प्रश्न हड़प्पा सभ्यता की बाट प्रणाली की विशेषताए कैसे थी ?

उत्तर – हड़प्पा सभ्यता में विनिमय के लिए बाटों की एक सूक्ष्म एवं परिशुद्ध प्रणाली प्रचलित थी | ये बाट समान्यतः चर्ट नमक पत्थर से बनाये जाते थे | इन बाटों के निचले मानदंड द्विआधारी थे, जबकि उपरी मानदंड दशमलव प्रणाली के अनुसार थे | धातु से बने तराजू के पलड़े भी मिले है |

                  

 (4) नदियों का सूख जाना अथवा मार्ग बदल लेना

(5) भूमि का अत्यधिक उपयोग आदि|

प्रश्न- ‘पुरातत्वविदों के पास हड़प्पा की केन्द्रीय सत्ता के विषय में कोई उचित उत्तर नहीं है|’ प्रमाणों के साथ सिद्ध कीजिए

उत्तर- (1) पुरातत्वविदों ने मोहनजोदड़ो में मिले एक विशाल भवन को एक प्रासाद की संज्ञा दी गई है पंरतु इससे संबधित कोई भव्य वस्तुएं नहीं मिली हैं|

(2) इसी प्रकार पत्थर की एक मूर्ति को ‘पुरोहित राजा’ कहा गया था | ऐसा इसलिए है क्योंकि पुरातत्वविदों को मेसोपोटामिया के इतिहास तथा वहाँ के ‘पुरोहित राजाओं’ के बारे में जानकारी थी |  परंतु हड़प्पा सभ्यता की अनुष्ठानिक प्रथाएँ अभी तक ठीक ढंग से नहीं समझी जा सकी है | न ही यह जानने के साधन उपलब्ध है की क्या ये जो लोग अनुष्ठान करते है उन्ही के पास राजनीतिक सत्ता होती थी |

(3) कुछ पुरातत्वविदों का मत है हड़प्पाई समाज में शाषक नहीं थे और सभी की सामाजिक स्थिति एक समान थी | कुछ अन्य पुरातत्वविद यह मानते है की हड़प्पा सभ्यता में कोई एक नहीं बल्कि कई शाषक थे | उनके अनुसार मोहनजोदड़ो, हड़प्पा आदि के अपने अलग –अलग राजा होते थे|    

 (2) इसी प्रकार पत्थर की एक मूर्ति को ‘पुरोहित राजा’ कहा गया था | ऐसा इसलिए है क्योंकि पुरातत्वविदों को मेसोपोटामिया के इतिहास तथा वहाँ के ‘पुरोहित राजाओं’ के बारे में जानकारी थी |  परंतु हड़प्पा सभ्यता की अनुष्ठानिक प्रथाएँ अभी तक ठीक ढंग से नहीं समझी जा सकी है | न ही यह जानने के साधन उपलब्ध है की क्या ये जो लोग अनुष्ठान करते है उन्ही के पास राजनीतिक सत्ता होती थी |

(3) कुछ पुरातत्वविदों का मत है हड़प्पाई समाज में शाषक नहीं थे और सभी की सामाजिक स्थिति एक समान थी | कुछ अन्य पुरातत्वविद यह मानते है की हड़प्पा सभ्यता में कोई एक नहीं बल्कि कई शाषक थे | उनके अनुसार मोहनजोदड़ो, हड़प्पा आदि के अपने अलग –अलग राजा होते थे|     

प्रश्न- मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार की संक्षिप्त जानकारी दीजिए?

                      अथवा

मोहनजोदड़ो के दुर्ग से प्राप्त सबसे अनूठी संरचना कौन-सी है? इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए?

उत्तर – विशाल स्नानागार मोहनजोदड़ो के दुर्ग से मिली अनूठी संरचना है | यह दुर्ग के आँगन में बने एक आयताकार जलाशय है | यह चारों और एक गलियारें से घिरा हुआ है | जलाशय के तल तक जाने के लिए इसके उपरी तथा दक्षिणी भाग में दों सीढियां बनी हुई है | जलाशय के किनारों पर ईंटो को जमाकर तथा जिप्सम के गारे के प्रयोग से इसे जलबद्ध किया गया है | इसके तीनो और कक्ष बने हुए है | इन्केव एक कक्ष में एक बड़ा कुआँ बना हुआ है | जलाशय से पानी एक बड़े नाले में बह जाता था |

    एक गलियारे के चारों और स्नानघर बने हुए थे |विद्वानों का मत है कि विशाल स्नानघर से इस बात का संकेत मिलता है की इसका प्रयोग किसी विशेष अनुष्ठानिक स्नान के लिए किया जाता था |     

 

 

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इस पाठ के अन्य दुसरे विषय भी देखे :

1. अध्याय-समीक्षा

2. अभ्यास (NCERT book)

3. अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

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