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Chapter 1. कबीर : साखी Hindi Class 10 In Hindi Medium Ncert Book Solutions कबीर : साखी (कवि परिचय)


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Chapter 1. कबीर : साखी : कबीर : साखी (कवि परिचय) Hindi class 10th:Hindi Medium NCERT Book Solutions

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Chapter 1. कबीर : साखी

 

कबीर : साखी (कवि परिचय)

कवि परिचय : कबीर 


कबीर का जन्म 1398 में काशी में हुआ माना जाता है। गुरु रामानंद के शिष्य कबीर ने 120 वर्ष की आयु पाई। जीवन वेफ अंतिम कुछ वर्ष मगहर में बिताए और वहीं चिरनिद्रा में लीन हो गए। कबीर का आविर्भाव ऐसे समय में हुआ था जब राजनीतिक, धार्मिक और
सामाजिक क्रांतियाँ अपने चरम पर थीं। कबीर क्रांतदर्शी कवि थे। उनकी कविता में गहरी सामाजिक चेतना प्रकट होती है। उनकी कविता सहज ही मर्म को छू लेती है। एक ओर धर्म के बाह्याडंबरों पर उन्होंने गहरी और तीखी चोट की है तो दूसरी ओर आत्मा-परमात्मा के विरह-मिलन के भावपूर्ण गीत गाए हैं। कबीर शास्त्राीय ज्ञान की अपेक्षा अनुभव ज्ञान को अधिक महत्त्व देते थे। उनका विश्वास
सत्संग में था और वे मानते थे कि ईश्वर एक है, वह निर्विकार है, अरूप है। कबीर की भाषा पूर्वी जनपद की भाषा थी। उन्होंने जनचेतना और जनभावनाओं को अपने सबद और साखियों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया।

‘साखी’ शब्द ‘साक्षी’ शब्द का ही तद्भव रूप है। साक्षी शब्द साक्ष्य से बना है जिसका अर्थ होता हैμप्रत्यक्ष ज्ञान। यह प्रत्यक्ष ज्ञान गुरफ शिष्य को प्रदान करता है। संत संप्रदाय में अनुभव ज्ञान की ही महत्ता है, शास्त्राीय ज्ञान की नहीं। कबीर का अनुभव क्षेत्र विस्तृत था। कबीर जगह-जगह भ्रमण कर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते थे। अतः उनके द्वारा रचित साखियों में अवधी, राजस्थानी, भोजपुरी और पंजाबी भाषाओं के शब्दों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है। इसी कारण उनकी भाषा को ‘पचमेल खिचड़ी’ कहा जाता है। कबीर की भाषा को सधुक्कड़ी भी कहा जाता है। ‘साखी’ वस्तुतः दोहा छंद ही है जिसका लक्षण है 13 और 11 के विश्राम से 24 मात्रा। प्रस्तुत पाठ की साखियाँ प्रमाण हैं कि सत्य की साक्षी देता हुआ ही गुरफ शिष्य को जीवन के तत्वज्ञान की शिक्षा देता है। यह शिक्षा जितनी प्रभावपूर्ण होती है उतनी ही याद रह जाने योग्य भी।

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1. कबीर : साखी (कवि परिचय) class 10 Chap-Chapter 1. कबीर : साखी

2. कबीर : साखी (अभ्यास-प्रश्नावली) class 10 Chap-Chapter 1. कबीर : साखी

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