CBSE Notes for class 9 th
1. फ़्रांसिसी क्रांति History class 9 in hindi Medium CBSE Notes | फ्रांसिसी क्रांति की शुरुआत. The most popular cbse notes prepared by latest cbse and ncert syllabus in both medium.;
1. फ़्रांसिसी क्रांति : फ्रांसिसी क्रांति की शुरुआत History class 9th:Hindi Medium NCERT Book Solutions
NCERT Books Subjects for class 9th Hindi Medium
1. फ़्रांसिसी क्रांति
फ्रांसिसी क्रांति की शुरुआत
फ्रांसीसी क्रांति:
विश्व के सामाजिक संरचना के क्षेत्र में आमूल परिवर्तन : सन 1789 ई० में फ्रांस में एक क्रांति हुई जिसने विश्व के लगभग सभी देशों के सामाजिक क्षेत्र की दिशा ही बदल दी | इस क्रांति को फ्रांसिसी क्रांति के नाम से जाना जाता है | इस क्रांति को विश्व के सामाजिक संरचना के क्षेत्र में आमूल परिवर्तन का सूत्रपात कहा जाता है | धीरे-धीरे विभिन्न देशों में भी लोग अपने अधिकारों की मांग करने लगे और वहाँ भी छोटी-मोटी आन्दोलन और क्रांतियाँ होने लगी |
निरंकुश राजशाही : ऐसा शासन जहाँ राजा ही सर्वोंसर्वा होता है और वहाँ के नागरिकों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता, अधिकार मांगने वालों पर दमन चक्र चलाया जाता है | इसे निरंकुश राजशाही या शासन कहते हैं |
सन 1774 में बुर्बों राजवंश का लूई सोलहवाँ (XVI) फ्रांस कि राजगद्दी पर आसीन हुआ और राजकोष खाली था और के युद्ध लड़ने के कारण कर्ज के बोझ से दबा था | कर्ज का बोझ दिनों दिन बढ़ता जा रहा था | लूई के शासन काल में फिजूल खर्ची बहुत अधिक थी | केवल तीसरे एस्टेट के लोग ही कर अदा करते थे | खाने पीने कि वस्तुएँ जैसे पाव-रोटी की कीमत आसमान छू रही थी |
फ्रांसिसी समाज : अठारहवी शताब्दी में फ्रांसिसी समाज तीन एस्टेट में बँटा हुआ था वो था |
(i) प्रथम एस्टेट (ii) द्वितीय एस्टेट (iii) तीसरा एस्टेट
पूरी आबादी में लगभग 90 % किसान थे | लेकिन, जमीन मालिक किसानों की संख्या बहुत कम थी | लगभग 60 प्रतिशत जमीन पर कुलीनों, चर्च और तीसरे एस्टेट के अमीरों का अधिकार था |
प्रथम दो एस्टेट्स, कुलीन वर्ग एवं पादरी वर्ग के लोगों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त थे | जिनमें उनके द्वरा राज्य को दिए जाने वाला करों में छुट प्रमुख था | यहाँ के कुलीन वर्ग को अन्य सामंती विशेषाधिकार प्राप्त थे जो किसानों से सामंती कर वसूला करते थे | जबकि किसान अपने स्वामी की सेवा, स्वामी के घर एवं खेतों में काम करना, सैन्य सेवाएँ देना अथवा सडकों के निर्माण के लिए बाध्य थे |
कर (taxes):
टाइड (एक प्रकार का धार्मिक कर) : फ्रांस में चर्चों द्वारा वसूला जाने वाला कर को टाइड कहा जाता था | जो कृषि के उपज के दसवें हिस्से के बराबर था |
टाइल : प्रत्यक्ष कर जो सीधे जनता द्वारा राज्य को अदा किया जाता था |
कामगार मजदूरों की स्थित : अधिकतर कामगार कारखानों में काम करते थे और उनकी मजदूरी मालिक तय करते करते थे | लेकिन मजदूरी उस हिसाब से नहीं बढ़ रही थी जिस हिसाब से महंगाई बढ़ रही थी | वहाँ के लोगो के समक्ष जिविका संकट उत्पन्न हो जाते थे जब कभी सूखे या ओले के प्रकोप से पैदवार गिर जाती थी |
लूई सोलहवें द्वारा कर में वृद्धि :
लुई सोलहवें के कर बढाने के निम्न कारण थे।
1. खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई |
2. फ्रांस की जनसंख्या में वृद्धि ।
3. सरकार पर कर्ज का बोझ।
4. वितीय संसाधन में कमी ।
5. बार बार युद्ध की मार ।
फ्रांस की क्रांति के प्रमुख कारण :
1. खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई |
2. कर में वृद्धि |
3. लूई सरकार का निरंकुश शासन |
4. मजदुर, व्यापारियों और किसानों का शोषण |
5. दार्शनिकों के विचार |
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1. फ्रांसिसी क्रांति की शुरुआत
2. फ्रांसिसी क्रांति की शुरुआत
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