atp logo  ATP Education
Hi Guest

CBSE NOTES for class 11 th

 

Chapter 2. लेखन कला और शहरी जीवन : History class 11 th:Hindi Medium NCERT Book Solutions

NCERT Books Subjects for class 11th Hindi Medium

Page 2 of 4

Chapter 2. लेखन कला और शहरी जीवन

 

लेखन कला और शहरों का विकास 


लेखन कला का विकास : 

(i) मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ (Tablet) पाई गई हैं वे लगभग 3200 ई.पू. की हैं।

(ii) वहाँ बैलों, मछलियों और रोटियों आदि की लगभग 5000 सूचियाँ मिली हैं, जो वहाँ के दक्षिणी शहर उरुक के मंदिरों में आने वाली और वहाँ से बाहर जाने वाली चीजों की होंगी।

(iii) वहां स्पष्टतः, लेखन कार्य तभी शुरू हुआ जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की ज़रूरत पडी़ क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देंन अलग-अलग समय पर होते थे, उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार के माल के बारे में होता था। 

(iv) मेसोपोटामिया के लोग गीली मिटटी की पट्टिकाओं पर तीली से लिखा करते थे और बाद में धूप में सुखा लेते थे।

(v) लगभग 2600 ई.पू. के आसपास वर्ण कीलाकार हो गए और भाषा सुमेरियन थी।

(vi) धीरे-धीरे यहाँ शब्द-कोष भी बनाया गया | 

मेसोपोटामिया के शहरों के प्रकार : 

(i) वे जो मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए शहर

(ii) वे जो व्यापार के केन्द्रों के रूप में विकसित हुए शहर

(iii) शाही शहर 

मेसोपोटामिया के मंदिरों की विशेषताएँ : 

(i) ये कच्ची ईंटों का बना हुआ होता था।

(ii) इन मंदिरों में विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं के निवास स्थान थे, जैसे उर जो चंद्र देवता था और इन्नाना जो प्रेम व युद्ध की देवी थी।

(iii) ये मंदिर ईंटों से बनाए जाते थे और समय के साथ बड़े होते गए। क्योंकि उनके खुले आँगनों के चारों ओर कई कमरे बने होते थे।

(iv) कुछ प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों से अलग किस्म के नहीं होते थे - क्योंकि मंदिर भी किसी देवता का
घर ही होता था।

(v) मंदिरों की बाहरी दीवारें कुछ खास अंतरालों के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थीं यही मंदिरों की विशेषता थी। 

देवता पूजा : 

(i) देवता पूजा का केंद्र बिंदु होता था।

(ii) लोग देवी-देवता के लिए अन्न, दही, मछली लाते थे |

(iii) आराध्य देव सैद्धांतिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों के पशुधन का स्वामी माना जाता था।

(iv) समय आने पर उपज को उत्पादित वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया जैसे तेल निकालना, अनाज पीसना, कातना आरै ऊनी कपड़ों को बुनना आदि मंदिरों के पास ही की जाती थी।

लेखन प्रणाली की विशेषताएँ : 

(i) ध्वनि के लिए कीलाक्षर या किलाकार चिन्ह का प्रयोग किया जाता था वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नहीं होता है | 

(ii) अलग अलग ध्वनियों के लिए अलग अलग चिन्ह होते थे जिसके कारण लिपिक को सैकड़ों चिन्ह सीखने पड़ते थे |

(iii) सुखने से पहले इन्हें गीली पट्टी पर लिखना होता था |

(iv) लिखने के लिए कुशल व्यक्क्ति की आवश्यकता होती थी |

(v) इसमें भाषा-विशेष की ध्वनियों को एक दृश्य रूप देना होता था |

 

ATP Education
www.atpeducation.com ATP Education www.atpeducation.com

ATP Education

 

 

Advertisement

NCERT Solutions

Select Class for NCERT Books Solutions

 

 

 

Notes And NCERT Solutions

Our NCERT Solution and CBSE Notes are prepared for Term 1 and Terms 2 exams also Board exam Preparation.

Advertisement

Chapter List


Our Educational Apps On Google Play Store