CBSE NOTES for class 10 th
chapter 1. संसाधन एवं विकास : Geography class 10 th:Hindi Medium NCERT Book Solutions
NCERT Books Subjects for class 10th Hindi Medium
chapter 1. संसाधन एवं विकास
मुख्य-बिन्दुएँ :
- प्रकृति से प्राप्त विभिन्न वस्तुएँ जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त होती हैं, जिनको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध हैं संसाधन कहलाते हैं।
- जीव मंडल से प्राप्त संसाधन जैव संसाधन कहलाते हैं।
- निर्जीव वस्तुओं द्वारा निर्मित संसाधन, अजैव संसाधन कहलाते हैं।
- वे संसाधन जिन्हें विभिन्न भौतिक, रासायनिक अथवा यांत्रिक प्रक्रियाओं के द्वारा पुनः
उपयोगी बनाया जा सकता है, नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। - वे संसाधन जिन्हे एक बार उपयोग में लाने के बाद पुनः उपयोग में नहीं लाया जा सकता, इनका निर्माण तथा विकास एक लंबे भूवैज्ञानिक अंतराल में हुआ है, अनवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं।
- निजी स्वामित्व वाले व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं।
- वे संसाधन जिनका उपयोग समुदाय के सभी लोग करते हैं, सामुदायिक संसाधन कहलाते हैं।
- किसी भी प्रकार के संसाधन जो राष्ट्र की भौगोलिक सीमा के भीतर मौजूद हो, राष्ट्रीय संसाधन होते हैं। व्यक्तिगत, सामुदायिक संसाधनों को राष्ट्र हित में राष्ट्रीय सरकार द्वारा अधिगृहीत किया जा सकता है।
- वे संसाधन जो किसी क्षेत्र में विद्यमान तो हैं, परंतु इनका उपयोग नहीं हो रहा है, संभावी संसाधन कहलाते हैं।
- वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है, इनके उपयोग की गुणवत्ता तथा मात्रा निर्धारित हो चुकी है, उन्हे विकसित संसाधन कहते हैं।
- प्रकृति में उपलब्ध होने वाले वे पदार्थ जो मानव आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं।
लेकिन तकनीकी ज्ञान न होने या पूरी तरह विकसित न होने के कारण पहुँच के बाहर हैं, भंडार कहलाते हैं। - सतत पोषणीय विकास - इस तरीके से विकास किया जाए जिससे पर्यावरण को हानि न पहुँचे तथा वर्तमान में किए जा रहे विकास के द्वारा भावी पीढि़यों की आवश्यकताओं की अवहेलना न हो।
- संसाधन नियोजन - ऐसे उपाय अथवा तकनीक जिसके द्वारा संसाधनों का उचित प्रयोग सुनिश्चित किया जा सके।
- संसाधन संरक्षण - संसाधनों का न्यायसंगत तथा योजनाबद्ध प्रयोग, जिससे संसाधनों का अपव्यय न हो।
- भूमि निम्नीकरण - विभिन्न प्राकृतिक तथा मानवीय क्रियाकलापों द्वारा मृदा का कृषि के योग्य न रह पाना।
- निवल अथवा शुद्ध बोया गया क्षेत्र - वह क्षेत्र जहाँ वर्ष में एक बार या एक से अधिक बार कृषि की गई हो।
- कुल बोया गया क्षेत्र - शुद्ध बोए गए क्षेत्र में परती भूमि को जोड़ना।
- परती भूमि - वह भूखंड जिस पर कुछ समय खेती नहीं की जाती और खाली छोड़ दिया जाता है।
- बंजर भूमि - वह भूखंड जिस पर कोई पैदावार नहीं होती तथा जो पहाड़ी, रेतीली अथवा दलदली होती है।
- लैटेराइट मृदा - अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मिट्अी की ऊपरी परत के तेजी से कटाव से निर्मित मृदा।
- मृदा अपरदन - प्राकृतिक कारकों द्वारा मृदा का एक स्थान से हटना।
- उत्खात भूमि - प्रवाहित जल तथा पवनों के द्वारा किए जाने वाले मृदा अपरदन से उत्खात भूमि का निर्माण।
ATP Educationwww.atpeducation.com ATP Education www.atpeducation.com
ATP Education
See other sub-topics of this chapter:
Advertisement
NCERT Solutions
Select Class for NCERT Books Solutions
Notes And NCERT Solutions
Our NCERT Solution and CBSE Notes are prepared for Term 1 and Terms 2 exams also Board exam Preparation.
Advertisement
Chapter List