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CBSE Notes for class 11 th


Chapter 1. समय की शुरुआत से History class 11 in hindi Medium CBSE Notes | होमोनिड और होमोनाइड . The most popular cbse notes prepared by latest cbse and ncert syllabus in both medium.;

Chapter 1. समय की शुरुआत से : होमोनिड और होमोनाइड History class 11th:Hindi Medium NCERT Book Solutions

NCERT Books Subjects for class 11th Hindi Medium

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Chapter 1. समय की शुरुआत से

 

होमोनिड और होमोनाइड

मुख्य-बिंदु-

मानव - 56 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर मानव का प्रादुर्भाव हुआ।

जीवाश्म - ‘जीवाश्म’ (Fossil) पुराने पौधे, जानवर या मानव के उन अवशेषों या छापों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो एक पत्थर के रूप में बदलकर अक्सर किसी चट्टान में समा जाते हैं और फिर लाखों सालों तक उसी रूप में पड़े रहते हैं।

प्रजाति- जीवों का एक ऐसा समूह होता है जिसके नर-मादा मिलकर बच्चे पैदा कर
सकते हैं और उनके बच्चे भी आगे प्रजनन करने मे समर्थ होते हैं।
ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज - चार्ल्स ड्रार्विन द्वारा लिखित पुस्तक।
प्राइमेट- स्तनपायी प्राणियो के एक अधिक बड़ा समूह है | इसमें वानर, लंगूर और मानव शामिल हैं।
आस्ट्रेलोपिथिकस - यह शब्द लैटिन भाषा के शब्द आस्ट्रल अर्थात् ‘दक्षिणी’ और यूनानी भाषा के शब्द पिथिकस अर्थात् वानर से मिलकर बना है।
‘जीनस’- इसके लिए हिन्दी मे ‘वंश' शब्द का प्रयोग किया जाता है।
होमिनॉइड - यह बन्दरों से कई तरह से भिन्न होते हैं, इनका शरीर बन्दरों से बड़ा होता है और इनकी पूछँ नहीं होती।

होमिनॉइड की विशेषताएँ -

(i) होमिनॉइड (Hominoids) बंदरों से कई तरह से भिन्न होते हैं।

(ii) उनका शरीर बंदरों से बड़ा होता है और उनकी पूँछ नहीं होती।

(iii) होमिनिडों के विकास और निर्भरता की अवधि भी अधिक लंबी होती है।

होमो - यह लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है आदमी, इसमे स्त्री-पुरुष दोनो शामिल हैं।
अपमार्जन - इसका अर्थ है त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करना या भक्षण करना। 

होमोनिड : ‘होमिनिड’ होमिनिडेइ (Hominidae) नामक परिवार के सदस्य होते हैं इस परिवार में सभी रूपों के मानव प्राणी शामिल हैं। होमिनिड समूह की अनेक विशेषताएँ हैं जैसे - मस्तिष्क का बड़ा आकार, पैरों के बल सीधे खड़े होने की क्षमता, दो पैरों के बल चलना, हाथ की विशेष क्षमता जिससे वह औजार बना सकता था और उनका इस्तेमाल कर सकता था।

होमोनिड की विशेषताएँ : 

(i) इनके मस्तिस्क का आकार बड़ा होता है |

(ii) इनके पास पैरों के बल खड़ा होने की क्षमता होती है |

(iii) ये दो पैरों के बल चलते है | 

(iv) इनके हाथों में विशेष क्षमता होती है, जिससे वे हथियार बना सकते थे और चला सकते थे |

होमोनिड और होमोनाइड में अंतर -

होमोनिड :

(i) इनका होमोनाइडो की तुलना में मस्तिष्क छोटा होता था |  

(ii) ये सीधे खड़े होकर पिछले दो पैरों के बल चलते थे |

(iii) इनके हाथ विशेष किस्म के होते थे जिसके सहारे ये हथियार बना सकते थे और इन्हें इस्तेमाल कर सकते थे |

(iv) इनकी उत्पति लगभग 56 लाख वर्ष पूर्व माना जाता है | 

होमोनाइड :

(i) इनका मस्तिष्क होमोनिड की तुलना में बड़ा होता है |

(ii) वे चौपाए थे, यानी चारों पैरों वेफ बल चलते थे, लेकिन उनवेफ शरीर का अगला हिस्सा और अगले दोनों पैर लचकदार होते थे।

(iii) इनकी हाथों की बनावट भिन्न थी और ये औजार का उपयोग करना नहीं सीखे थे | 

(iv) इनकी उत्पति होमोनीडों की उत्पत्ति से पहले का माना जाता है | 

होमोनिडों के अफ्रीका में उदभव के प्रमाण -

इसके दो प्रमाण है -

(i) अफ़्रीकी वानरों (एप) का समूह होमोनिडों से बहुत गहराई से जुड़ा है |

(ii) सबसे प्राचीन होमोनिड जीवाश्म, जो आस्ट्रेलोपिथिकस वंश (जीनस) से है, जो पूर्वी अफ्रीका में पाए गए है | और अफ्रीका के बाहर पाए गए जीवाश्म इतने पुराने नहीं है | 

आस्ट्रेलोपिथिकस और होमो में अंतर -

आस्ट्रेलोपिथिकस - 

(i) आस्ट्रेलोपिथिकस का मस्तिस्क होमो की अपेक्षा बड़ा होता था | 

(ii) इनके जबड़े भारी होते थे |

(iii) इनके दांत भी बड़े होते थे |

(iv) हाथों की दक्षता सिमित थी |

(v) सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं थी | 

(vi) ये अपना अधिक समय पेड़ों पर गुजरते थे | 

होमो - 

(i) इनका मस्तिष्क आस्ट्रेलोपिथिकस की अपेक्षा छोटा होता था |

(ii) इनके जबड़े हल्के होते थे | 

(iii) इनके दांत छोटे आकार के होते थे | 

(iv) ये हाथों का अच्छा उपयोग कर लेते थे |

(v) इनमें सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक थी |
 

आस्ट्रेलोपिथिकस - लातिनी भाषा के शब्द 'आस्ट्रल' जिसका अर्थ दक्षिणी और यूनानी भाषा के 'पिथिकस' का अर्थ है 'वानर' है से मिलकर बना है | यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि मानव के आध्य रूप में उसकी एप (वानर) अवस्था के अनेक लक्षण बरक़रार रहे | 

आस्ट्रेलोपिथिकस की विशेषताएँ - 

(i) आस्ट्रेलोपिथिकस का मस्तिस्क होमो की अपेक्षा बड़ा होता था | 

(ii) इनके जबड़े भारी होते थे |

(iii) इनके दांत भी बड़े होते थे |

(iv) हाथों की दक्षता सिमित थी |

(v) सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं थी | 

(vi) ये अपना अधिक समय पेड़ों पर गुजरते थे | 

होमोंनीडों का दो पैरों पर चलने के लाभ - 

दो पैरों पर खड़े होकर चलने की क्षमता के कारण हाथ बच्चों या चीजों को उठाकर ले जाने के लिए मुक्त हो गए और ज्यों-ज्यों हाथों का इस्तेमाल बढ़ता गया, त्यों-त्यों दो पैरों पर खड़े होकर चलने की कुशलता भी बढ़ती गई। इससे विभिन्न प्रकार के काम करने के लिए हाथ स्वतंत्र हो जाने का लाभ तो मिला ही साथ ही चार पैरों की बजाय दो पैरों पर चलने से शारीरिक ऊर्जा की खपत भी कम होने लगी | 

आस्ट्रेलोपिथिकस के प्रारंभिक रूप का विलुप्त होना - 

लगभग 25 लाख वर्ष पहले, ध्रुवीय हिमाच्छादन से (हिम युग के प्रारंभ में) जब पृथ्वी के बड़े-बड़े भाग बर्फ से ढक गए तो जलवायु तथा वनस्पति की स्थिति में बड़े-बड़े परिवर्तन आए। तापमान और वर्षा में कमी हो जाने के कारण, जंगल कम हो गए। और घास के मैदानों का क्षेत्रफल बढ़ गया जिसके परिणामस्वरूप आस्ट्रेलोपिथिकस के प्रारंभिक रूप (जो जंगलों में रहने के आदी थे) धीरे-धीरे लुप्त हो गए और उनके स्थान पर उनकी दूसरी प्रजातियाँ आ गईं जो सूखी परिस्थितियों में आराम से रह सकती थीं।

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